Chalisa

गणपति चालीसा अर्थ साहित | Ganpati Chalisa Arth Sahit | Ganpati Chalisa Lyrics

गणपति चालीसा | Ganpati Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या दास तुम, देहु अभय वरदान॥

अर्थ: हे गिरिजा पुत्र श्री गणेश जी! आप मंगल के मूल और परम सुजान हैं। अयोध्यादास कहता है कि मुझे निर्भयता का वरदान दीजिए।

॥ चौपाई ॥

1.  जय गणेश गिरिजा नंदन। शुभ सुखदाता बुद्धि विवेकंदन॥
अर्थ: हे पार्वती नंदन श्री गणेश जी! आप शुभ और सुख के दाता हैं और बुद्धि तथा विवेक के प्रदाता हैं।

2. मोरे हृदय बसहु सुर राजा। गणपति दीन जानि गुन साजा॥
अर्थ: हे देवताओं के राजा! आप मेरे हृदय में निवास करें। आप दीनों पर कृपा करने वाले और गुणों से सजे हुए हैं।

3. अंगहीन गजवदन सुहावा। कनक सुरनयन निकुंज सुभावा॥
अर्थ: आपका गजवदन (हाथी जैसा मुख) सुन्दर और मनोहर है, स्वर्ण जैसे नेत्रों में अत्यंत तेज है।

4. भाल चंद्रमा सोहत नीके। मुसक वाहन सोहत जीके॥
अर्थ: आपके ललाट पर शोभायमान चंद्रमा सुंदरता को बढ़ाता है और मूषक वाहन आपके जीवन का अनोखा श्रृंगार है।

5. पान चढ़त मोदक महँ राजत। चढ़त फूल माला मन भातत॥
अर्थ:पान और मोदक का भोग आपको बहुत प्रिय है और फूलों की माला अर्पण करने से आप प्रसन्न होते हैं।

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6. गजमुख जब ध्यान ते धारा। सफल मनोरथ भयो हमारा॥
अर्थ: जब कोई व्यक्ति आपका गजमुख रूप में ध्यान करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

7. पुत्रहीन जब ध्यान लगावै। निश्चय पुत्र समेत सुख पावै॥
अर्थ: जो निसंतान व्यक्ति आपका ध्यान करता है, वह निश्चय ही संतान सहित सुख पाता है।

8. विद्या वांछित जो कोई लावै। सो विधि ज्ञान प्रचुर पावै॥
अर्थ: जो विद्या की इच्छा से आपकी आराधना करता है, उसे अपार ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।

9. त्रास दूर करहु भय नाशक। सुनहु विनय दीन मन भासक॥
अर्थ: हे भय का नाश करने वाले प्रभु! कृपया हमारी प्रार्थना सुनिए और हमारे कष्टों का नाश कीजिए।

10. निश्चय प्रेम बढ़ै तुम्ह पाहीं। मिलै जो जन जानत नाहीं॥
अर्थ: जो लोग आपको नहीं जानते, वे भी यदि सच्चे प्रेम से भक्ति करें तो उन्हें भी कृपा प्राप्त होती है।

11. प्रेम सहित जो पाठ करै कोई। ताकर मन वांछित फल होई॥
अर्थ: जो व्यक्ति प्रेमपूर्वक इस चालीसा का पाठ करता है, उसके मन की समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, सदा करो उपकार।
संतन की रक्षा करो, संकट होहि अपार॥

अर्थ: हे माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी! आप सदा कृपा करें और संतजनों की रक्षा करें, चाहे संकट कितना भी बड़ा हो।

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